Shri Ganesh Chaturthi
गणेश चतुर्थी भारत का एक प्रमुख त्यौहार है ज्यादातर सनातन धर्म के लोग (हिन्दू) इस त्यौहार को मनाते हैं यह त्यौहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है पर भारत के महानगर महाराष्ट्र (मुंबई) में यह त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है इस त्यौहार में भगवान श्री गणेश कि बड़ी बड़ी प्रतिमा बनाकर लगाया जाता है तथा बड़ी ही भक्ति भाव से पूजा अर्चना की जाती है यह पूजा 9 दिनों तक किया जाता है फिर भगवान् श्री गणेश की प्रतिमा को नदी या तालाव में विसर्जित कर दिया जाता है,
गणेश चतुर्थी त्यौहार क्यों मानाया जाता है ?
शिवपुराण में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष, चतुथी को मंगलमूर्ति श्री गणेश के अवतरण होने की तिथि बताई गई है इसलिए इस तिथि को मंगलमूर्ति श्री गणेश के जन्म के दिन भारत में उनकी पूजा अर्चना की जाती है,
शिवपुराण में वर्णित कथा के अनुसार माता पार्वती को स्नान करना था कैलाश पर इस समय कोई नहीं था, सभी सेवक नंदी सहित भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत से कही दूर गए हुए थे ऐसे में माता पार्वती नें अपने तपो बल से एक बालक को अवतरित किया और मुक्य द्वार पर खड़ा कर के उसे सख्त हिदायत दिया की किसी भी परिस्थिति में किसी का भी अंदर प्रवेश वर्जित है इसलिए चाहे कोई भी आ जाए उसे प्रवेश द्वार से अंदर नहीं आने देना, इतना कहकर माता स्नान करने चली जाती हैं कुछ देर बाद भगवान शिव अपने अनुचरों सहित वहां आते हैं और अंदर प्रवेश करने लगते हैं पर बालक उन्हें अंदर नहीं जाने देता है सभी अनुचर उसे बहुत समझाते हैं पर बालक अपनी हठ नहीं छोड़ता है वह किसी भी सूरत पर किसी को अंदर नहीं जाने देता है इस कारन भगवान शिव के अनुचरों से बालक का युद्ध भी होता है पर सभी बालक से हार जाते हैं तब अंत में भगवान शिव क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से बालक पर प्रहार करते हैं और बालक का सर धड़ से अलग हो जाता है जब माता पार्वती बाहर निकलती है तो यह देख कर क्रोधित हो जाती है और माँ दुर्गा का रूप धारण कर के कहती है की जिसने भी मेरे पुत्र का ये हाल किया है वह तुरंत इसे जीवित करे नहीं तो मैं सारी सृष्टि का विनास कर दूंगी तब नारद जी सभी देवताओं का आवाहन करते हैं और ब्रम्हा, विष्णु,महेश, देवर्षिनारद और सभी देवता मिलकर माँ जगदम्बा की स्तुति करते हैं तब माता जगदम्बा शांत होती हैं, फिर शिव के आग्रह पर श्री विष्णु उत्तर दिशा में जाते हैं और सबसे पहले मिले प्राणी (एक हाथी) का सर काट कर लाते हैं और मृत्युंजय भगवान शिव हाथी के सर को बालक के धड़ पर रखकर उसे जीवित कर देते हैं, माता बालक को अपने सिने से लगा लेती है, तत्पस्चात सभी देवता विध्नहर्ता गणपति श्री गणेश को अग्रिम पूजा का वरदान देते हैं,
गणेश चतुर्थी भारत का एक प्रमुख त्यौहार है ज्यादातर सनातन धर्म के लोग (हिन्दू) इस त्यौहार को मनाते हैं यह त्यौहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है पर भारत के महानगर महाराष्ट्र (मुंबई) में यह त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है इस त्यौहार में भगवान श्री गणेश कि बड़ी बड़ी प्रतिमा बनाकर लगाया जाता है तथा बड़ी ही भक्ति भाव से पूजा अर्चना की जाती है यह पूजा 9 दिनों तक किया जाता है फिर भगवान् श्री गणेश की प्रतिमा को नदी या तालाव में विसर्जित कर दिया जाता है,
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शिवपुराण में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष, चतुथी को मंगलमूर्ति श्री गणेश के अवतरण होने की तिथि बताई गई है इसलिए इस तिथि को मंगलमूर्ति श्री गणेश के जन्म के दिन भारत में उनकी पूजा अर्चना की जाती है,
शिवपुराण में वर्णित कथा के अनुसार माता पार्वती को स्नान करना था कैलाश पर इस समय कोई नहीं था, सभी सेवक नंदी सहित भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत से कही दूर गए हुए थे ऐसे में माता पार्वती नें अपने तपो बल से एक बालक को अवतरित किया और मुक्य द्वार पर खड़ा कर के उसे सख्त हिदायत दिया की किसी भी परिस्थिति में किसी का भी अंदर प्रवेश वर्जित है इसलिए चाहे कोई भी आ जाए उसे प्रवेश द्वार से अंदर नहीं आने देना, इतना कहकर माता स्नान करने चली जाती हैं कुछ देर बाद भगवान शिव अपने अनुचरों सहित वहां आते हैं और अंदर प्रवेश करने लगते हैं पर बालक उन्हें अंदर नहीं जाने देता है सभी अनुचर उसे बहुत समझाते हैं पर बालक अपनी हठ नहीं छोड़ता है वह किसी भी सूरत पर किसी को अंदर नहीं जाने देता है इस कारन भगवान शिव के अनुचरों से बालक का युद्ध भी होता है पर सभी बालक से हार जाते हैं तब अंत में भगवान शिव क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से बालक पर प्रहार करते हैं और बालक का सर धड़ से अलग हो जाता है जब माता पार्वती बाहर निकलती है तो यह देख कर क्रोधित हो जाती है और माँ दुर्गा का रूप धारण कर के कहती है की जिसने भी मेरे पुत्र का ये हाल किया है वह तुरंत इसे जीवित करे नहीं तो मैं सारी सृष्टि का विनास कर दूंगी तब नारद जी सभी देवताओं का आवाहन करते हैं और ब्रम्हा, विष्णु,महेश, देवर्षिनारद और सभी देवता मिलकर माँ जगदम्बा की स्तुति करते हैं तब माता जगदम्बा शांत होती हैं, फिर शिव के आग्रह पर श्री विष्णु उत्तर दिशा में जाते हैं और सबसे पहले मिले प्राणी (एक हाथी) का सर काट कर लाते हैं और मृत्युंजय भगवान शिव हाथी के सर को बालक के धड़ पर रखकर उसे जीवित कर देते हैं, माता बालक को अपने सिने से लगा लेती है, तत्पस्चात सभी देवता विध्नहर्ता गणपति श्री गणेश को अग्रिम पूजा का वरदान देते हैं,
- Happy Navratri
- Happy Dashahara
- Happy Diwali
- Good Morning, Good Evening, Good Night,
- Happy Navratri # विजय दसमी की शुभकामनाएँ
- Happy Ganesh Chaturthi
- Happy Krishna Janmashtami
- Happy Raksha Bandhan
इस प्रकार हम विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना करते है और गणपति बप्पा हमारे सभी बाधाओं को दूर कर जीवन को मंगलमय कर देते हैं, और हम अपने मित्रों को गणेश चतुर्थी की सुभकामनाएँ देते हैं अगर आप भी अपने मित्र को गणेश चतुर्थी की ग्रीटिंग्स भेजना चाहते हैं तो निचे Share बटन पर क्लिक कीजिए !!
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